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4.2.08

राज़ भाई, ई राज हरदम ना रही !

कल टीवी पर समाचार देख रह था। एक टैक्सी वाले को राज ठाकरे के समर्थक बेतहाशा पीटे जा रहे थे। टैक्सी ड्राईवर भले ही बिहारी या यूपी का रह हो पर मुझे पूरा विश्वास है कि टैक्सी जरूर किसी मराठी की रही होगी। आख़िर राज किसको भगाना चाहतें हैं? मन तो यही किया कि जूता निकालूँ और जुतियाना शुरूं करूं । ऐसे लोंगो की एक ही दवा है। लात के भूत बातों से नही मानते। सब जानतें हैं की ये अपने आप को प्रचारित करने की साजिश है। टी आर पी रेटिंग में मुम्बई का एक बड़ा हिसा है। वे जानतें हैं कि उनके किसी भी कुकर्म को मीडिया में खूब जगह मिलेगी। तो लो भैया , पिल पड़े लाठी डंडा लेकर। समझ में नही आता कि इन लोंगो ने क्या पढा लिखा है। "ऊपर वाला इनकी गलती का घड़ा जल्दी भरे।"आमीन

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